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मणिपुर हिंसा: मणिपुर क्यों सुलग रहा हिंसा की आग में, जानिए कौन है जिम्मेदार-

यह घटना 4 मई 2023 को राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में हुई। इसका वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके कुछ लोग ले जा रहे हैं। उनके साथ अश्लील हरकतें कर रहे हैं। घटना के विरोध में गुरुवार सुबह मणिपुर के चुराचांदपुर में प्रदर्शन शुरू हो गया। हजारों लोगों ने काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वीडियो देखकर हम भी बहुत परेशान हुए हैं। हम सरकार को वक्त देते हैं कि वो कदम उठाए। अगर वहां कुछ नहीं हुआ तो हम कदम उठाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस घटना ने 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार किया है। किसी भी गुनहगार को बख्शा नहीं जाएगा।

मणिपुर हिंसा

ढाई महीने से ज़्यादा हो गए, मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही। बल्कि और भी ज़्यादा दिल दहला देने वाली घटनाएं हो रही हैं । अभी एक विडियो वायरल है। राज्य की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया जा रहा है, और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। इस विडियो के सामने आने के बाद से पूरा देश स्तब्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का ख़ुद संज्ञान लेते हुए कहा कि सरकार को कार्रवाई के लिए कुछ समय देंगे वरना ख़ुद हस्तक्षेप करेंगे।दो जनजातीय महिलाओं के साथ हुई इस घटना में पुलिस ने उन शख़्सों को गिरफ्तार कर भी लिया है, जिन्हें मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा।सरकार अपराधियों के लिए मौत की सजा पर विचार कर रही है।

मणिपुर में सरकार समर्थक लोगों का बयान है कि जनजाति समूह अपने हितों को साधने के लिए मुख्यमंत्री नोंगथोंबन बीरेन सिंह को सत्ता से हटाना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने ड्रग्स के ख़िलाफ़ जंग छेड़ रखी है। प्रदेश में बीरेन सिंह की सरकार अफ़ीम की खेती को नष्ट कर रही है और कहा जा रहा है कि इसकी मार म्यांमार के अवैध प्रवासियों पर भी पड़ रही है। जिन्हें म्यांमार से जुड़ा अवैध प्रवासी बताया जा रहा है, वे मणिपुर के कुकी-ज़ोमी जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। सरकार इन्हें सरकारी ज़मीन पर अफ़ीम की खेती करने से रोक रही है।

कौन है मणिपुर हिंसा के लिए जिम्मेदार

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए।  इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में अनुुुसूचित जनजाति वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 मुख्यमंत्री में से दो ही जनजाति से रहे हैं। लोग हिंसा के लिए मैतेई समुदाय और मणिपुर सरकार को जिम्मेदार मानते हैं। जिस तरह मैतेई समुदाय के लोग अपनी हथियारबंद विलेज़ डिफेन्स कमिटी बना रहे हैं, वैसे ही चुराचांदपुर के बहुत से युवा हथियार लेकर सड़कों पर उतर आए हैंं। हिंसा शुरू होने के दो महीने बाद मणिपुर के चुराचांदपुर इलाक़े में माहौल पहले से कुछ बेहतर तो हुआ है लेकिन यहाँ फैला तनाव अभी भी क़ायम है।

हिंसा के दौरान सुलग उठा मणिपुर

मैतेई समुदाय की ओर से मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का मुद्दा उठाया गया था। याचिका में दलील दी गई थी कि 1949 में मणिपुर भारत का हिस्सा बना था। उससे पहले तक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल था, लेकिन बाद में उसे एसटी लिस्ट से बाहर कर दिया गया।

इसी पर मणिपुर हाई कोर्ट ने 20 अप्रैल 2023 को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वो चार हफ्तों के अंदर मैतेई समुदाय की ओर से एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करे। इसके विरोध में तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में आदिवासी एकता मार्च निकाला था। इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसके बाद हालात इतने बिगड़ गए कि कई जिलों में कर्फ्यू लगाना पड़ गया। इंटरनेट और ब्रॉडबैंड बैन कर दिया गया। सेना और अर्ध सैनिक बलों की 54 टुकड़ियां तैनात कर दी गईं।

हिंसा के बाद राज्य में अब भी हालत तनावपूर्ण बने हुए हैं, जिसके बाद राज्य में भारी सुरक्षा बल को तैनात किया गया है।अगर आधिकारिक मौतों की बात करें तो अस्पताल में 50 से ज्यादा शव पाए गए।मणिपुर के कुछ इलाकों में हालात में सुधार को देखते हुए कर्फ्यू में ढील दे दी गई है।हिंसा की आशंका को देखते हुए राज्य में हजारों लोगों का पलायन जारी है।हिंसाग्रस्त इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवा अब तक बंद हैं। मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है। म्यांमार से लगी सीमा पर ड्रोन के जरिए निगरानी बढ़ा दी गई है।और शांति स्थापित करने की अपील की है।

हिंसा के चलते  मणिपुर की स्थिति

क़रीब दो महीने से जारी हिंसा की वजह से राज्य के अलग-अलग इलाक़ों से हज़ारों लोग अपने गांवों को छोड़ने को मजबूर हुए हैं। ऐसे ही एक गाँव सुगनु में स्थानीय महिलाएं जगह-जगह गाड़ियों की तलाशी ले रही थीं। महिलाएं इन गाड़ियों की चेकिंग इसलिए करती हैं कि वह देखती हैं कि कौन क्या लेकर आ जा रहा है। कई लोग बन्दूक़, गन वगैरह भी लेकर जा सकते हैं इसलिए वो लोग अपने अपने गाँव की सुरक्षा के लिए सबकी तलाशी लेती हैं। ये महिलाएं मेतेई समुदाय से हैं और इन्हें डर है कि कुकी समुदाय के लोग उन पर हमला कर देंगे।

4 मई 2023 की दोपहर 3 बजे करीब 800-1000 लोग कांगपोकपी जिले में स्थित गांव बी. फीनोम में घुस गए। उन्होंने घरों में तोड़फोड़ की, घरों का फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक, बर्तन, कपड़े और नकदी लूटने के बाद घरों में आग लगा दी। लोगों को संदेह है कि हमलावर मैतेई युवा संगठन, मैतेई लीपुन, कांगलेइपाक कनबा लुप, अरामबाई तेंगगोल, विश्व मैतेई परिषद और अनुसूचित जनजाति मांग समिति से थे। हमलावरों के डर से कई लोग जंगल की ओर भाग गए, उन्हें नोंगपोक सेकमाई पुलिस ने बचाया। हमलावरों के पास कई हथियार भी थे। उन्होंने सभी लोगों को पुलिस की हिरासत ले छुड़ा लिया। उन्होंने 56 साल के सोइटिंकम वैफेई की हत्या कर दी। इसके बाद तीन महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया।हमलावरों ने महिलाओं के साथ गैंगरेप किया। एक महिला के भाई ने अपनी बहन को बचाने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी।

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